मुझे पनीर नही पसंद। ❌
क्यों नही पसंद, उसके पीछे के कारण जान लीजिए। 🤔
🧀 पनीर सामंतवाद का प्रतीक है और 🥔 आलू समाजवाद का। पनीर खाने से आप ‘एलिट’ माने जाते हैं, जबकि आलू खाने से बस ‘आम आदमी’ में एक गिना जाता है।
👨💼 के.के. सिंह, के.पी. सिन्हा, जे.पी. मिश्रा और आर.के. पांडे जैसे अफसर टाइप लोग पनीर खाने में यकीन रखते हैं। उन्हें लगता है कि शायद पनीर उन्हें ओबेरॉय, सिंघानिया, मल्होत्रा जैसी ऊँची कतार में ले आएगा। हो सकता है कि वे लोग भी पनीर खाते हों! लेकिन मेरी कल्पना उनके किचन तक नहीं जाती, ये भी एक समस्या है।
🥔 दूसरी ओर, आलू हर रामलाल, राधेश्याम, गजोधर, शर्माजी और वर्माजी के किचन की आन-बान-शान है। फिर भी, आलू को अक्सर पनीर की सुप्रीमेसी झेलनी पड़ती है।
पनीर: रईसों की शान, आलू: हर किसी की जान
पनीर चाहते हैं, पर समाजवाद भी निभाना है!
💡 हर समाजवादी आलू की पैरवी करता है, लेकिन दिल के किसी कोने में पनीर की चाह छुपी होती है। ठीक वैसे ही, जैसे लालू जी जीवन भर अंग्रेज़ी का विरोध करते रहे, लेकिन उनके नौ में से सात बच्चे अंग्रेज़ी में ही बात करते हैं!
🍽️ आज पनीर रेस्टोरेंट में मिलता है, और आलू की सब्ज़ी—चाहे वो आलू मटर हो, आलू गोभी हो, या आलू परवल—जनता होटल या ढाबे में।
आलू दोस्ती का प्रतीक है, पनीर अधिनायकवाद का
🥔 आलू । वह एक सच्चा समाजवादी है। वहीं, 🧀 पनीर को देखिए—वह अकेला रहना पसंद करता है, जब भी किसी के साथ होता है, तो उसे अपने अंदर घोलकर अपने जैसा बना लेता है। यह अधिनायकवाद नहीं तो और क्या है? आलू इतना सामाजिक है किसी के साथ भी मिला लो वह चलता है , वो किसी के भी साथ घुलमिल जाता है—मटर हो, गोभी हो, टमाटर हो, परवल हो वो दोस्ती का प्रतीक है, वह एक मिली जुली सरकार का सूचक है जबकि पनीर अधिनायकवाद या फिर परिवारवाद का।
अब जन्म और पालन पोषण का फर्क तो पड़ता है ना। पनीर नेपोटिज्म की निशानी है और आलू संघर्ष , त्याग और मेहनत को प्रतिनिधित्व करता है।
जन्म और परवरिश का फ़र्क
पनीर नेपोटिज़्म की निशानी है, जबकि आलू संघर्ष, त्याग और मेहनत का प्रतिनिधित्व करता है।
पनीर को स्पेशल ट्रीटमेंट चाहिए। उसे खास ट्रेनिंग देकर तैयार किया जाता है—ठीक वैसे ही जैसे स्टारकिड्स को एक्टिंग, बॉडी बिल्डिंग और डांस की ट्रेनिंग देकर फिर करण जौहर को सौंप दिया जाता है कि “भाई, लॉन्च कर दो!”
आलू जमीन से आता है, अपनी मेहनत से आगे बढ़ता है, बिना किसी गॉडफादर के। वह ‘मासेज’ का हीरो है।
अगर बॉलीवुड में देखें तो अध्यनन सुमन, हरमन बावेजा, फरदीन खान, कुमार गौरव जैसे कलाकार अलग-अलग प्रकार के पनीर हैं, जबकि नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी, शाहरुख खान और अक्षय कुमार असली ‘आलू’ हैं, जिन्होंने अपनी मेहनत से बॉलीवुड रूपी किचन पर राज किया।
राजनीति में भी आलू बाज़ी मार जाता है
सभी ‘पनीर छाप’ नेता—चाहे बिहार, महाराष्ट्र, दिल्ली या पंजाब में हों—कभी-कभी ही जनता के बीच आते हैं और चुन लिए जाते हैं। लेकिन अंत में टिकता कौन है? आलू! नाम नहीं लूँगा, खतरनाक हो सकता है! 🤣
रहने की आदतों में भी अंतर
पनीर को हमेशा रहने के लिए एक वातानुकूलित घर चाहिए—मतलब फ्रिज़। बिना फ्रिज के वह सड़ जाता है।
अच्छा एक और पनीर को रहने के लिए हमेशा एक वातानुकूलित घर चाहिए मने फ्रिज चाहिए जबकि हमारा आलू कैसे भी रह लेता है, खेत से निकलने के बाद ही बोरियों में ठूंसा हुआ, जैसे कोलकाता 🚃मेल की जनरल बॉगी में या मुंबई के लोकल में फिर भी बिना शिकायत के सफर करता रहता है।
आलू हमें एडजस्ट करना और हमेशा आगे बढ़ते रहना सिखाता है।
टॉयलेट का फ़र्क़ भी देख लीजिए
किसी ट्रेन की एसी बोगी में अगर टॉयलेट थोड़ा भी गंदा हो जाए, तो ट्विटर पर ट्वीट की बाढ़ आ जाती है।
लेकिन शायद ही कोई ट्वीट करता होगा कि फलानी ट्रेन की जनरल बोगी के टॉयलेट में पानी नहीं है! वहां तो बैठने की जगह बन जाती है भाईसाहब! वैसे ही पनीर को अगर एसी ना मिले तो वो सड़ जाता है।
पनीर = फ़ूफा जी
अगर भारतीय समाज में पनीर को सही उपमा न दूं, तो बात अधूरी रह जाएगी।
पनीर हमारे फूफा 👴की तरह होतेहैं, जरा ध्यान भटका नही की नाराज ! उन्हें स्पेशल ट्रीटमेंट चाहिए।
पनीर बनाने के लिए भी स्पेशल मसाले चाहिए, ठीक वैसे ही जैसे फ़ूफा जी के लिए भी स्पेशल इंतज़ाम किए जाते हैं। आपने गौर किया होगा, फ़ूफा जी जब आते हैं, तो उनके लिए पनीर की सब्जी बनती है, न कि आलू की सूखी सब्जी!
और अब एंट्री हुई है मशरूम की! 🍄
अच्छा, एक और नई एंट्री हुई है आजकल, जिसे शायद आपने महसूस नहीं किया होगा—ये जनाब हैं मशरूम!
🤵♂️ जैसे टाटा-बिड़ला के सामने ओला, ओयो और ज़ोमैटो आ गए, वैसे ही आलू के सामने ये नया IIT-IIM वाला स्टार्टअप मशरूम!
नया-नया है, स्टाइलिश है, हेल्दी भी है, और कुछ दिनों तक तो ट्रेंड में रहेगा ही!
💰 पर सवाल उठता है कि आखिर सारे स्टार्टअप Agarwal, Malhotra, Bansal के ही क्यों होते हैं?
बाकी नाम कहाँ हैं? खैर, यह बहस फिर कभी! 😏
फिलहाल तो मशरूम सबकी जुबान पर चढ़ रहा है, जैसे कभी केजरीवाल चढ़े थे—
पहले दिल्ली, फिर पंजाब और फिर… खैर, छोड़िए! 🤭
वैसे, मशरूम में फायदे भी बहुत हैं, खासकर ऑयस्टर मशरूम में! (गूगल कर लीजिए, फायदा आपका ही होगा!)
🔄 लेकिन ठहरिए! यहाँ भी आलू का कोई रिप्लेसमेंट नहीं है! 🥔🤨 क्या आपको लगा कि मशरूम आलू को रिप्लेस कर सकता है?
कहाँ पड़े हो चक्कर में, नहीं है कोई टक्कर में!
अब बताइए, 😎कौन जीतेगा? आम आदमी का आलू, राजा बाबू का पनीर या स्टार्टअप का मशरूम?” 😆वैसे आपको क्या पसंद है—स्टार्टअप मशरूम, समाजवादी आलू और एसी-लवर पनीर! लेकिन मैं बता दूं आलू अमर है, पनीर मगरूर है, और मशरूम बस ट्रेंड में है!”